दमा रोग के उपचार: मानव जाति और जीव-जंतु,पेड़-पोधे आदि ये दोनों ही ऐसे प्राणी है जो जिन्दा रहने के लिए इन्हें साँस की जरुरत होती है| अगर इन दोनों को एक पल भी साँस न मिले तो ये जीवित नहीं रह सकते क्योकि इनके जीवन का आधार ही साँस है| और इसी प्रकार यदि मानव को साँस लेने में दिक्कत होती है परेशानी होती है तो इस स्थिति को ही दमा रोग कहते है|
दमा रोग के उपचार
ये दोनों अलग-अलग है जब फेफड़ो की छोटी छोटी नालियों में अकडन होने लगती है, और संकोचन उत्पन्न होने लगता है तो फिर हमारे फेफड़े जो साँस लेते है| उन्हें अन्दर ले जाकर पूरी तरह से पचा नहीं पाते जिससे कारण रोगी पूरी साँस को खिचे बिना ही साँस को छोड़ देता है तब ये स्थिति दमा कहलाती है| ये एक खतरनाक बीमारी है इस में रोगी की नली में कफ या सुजन पैदा हो जाती है|
दमा में साँस लेने की दिक्कत सुबह से शाम के समय में ही आती है, दमा के बीमारी का शिकार आज स्त्री पुरुष ही नहीं बल्कि बच्चे भी है ये रोग धुआ, धुल, मिटटी, दूषित गैस, आदि के शारीर में जाने से होता है| ये शारीर के अन्दर जाकर फेफड़ो को नुकसान पहुचता है इसलिए हमें दूषित वातावरण में ज्यादा नहीं रहना चाहिए, जितना हो दूर रहना चाहिए|
आयुर्वेदिक नाम
- क्षुद्र श्वांस
- श्वांस
- ऊध्र्वश्वांस
- तमक श्वांस
- छिन्न श्वांस
दमा रोग होने के कारण एवं दमा रोग के उपचार
ये एक एलर्जिक तथा जटिल बीमारी है इस बीमारी का मुख्य कारण यही है, कि श्वांस नलिका में धुल के कण का जम जाना या श्वांस नली में ठण्ड का लग जाने के कारण होती है ये एक गंभीर बीमारी है|
ये रोग शारीर में अन्दर से जलन करने वाले पदर्थो के सेवन से, बहुत देर से हजम होने वाले पदार्थो के सेवन से, दस्त रोकने वाले पदार्थो के सेवन आदि ये होता है| (दमा रोग के उपचार)
ये रोग ज्यादातर ठन्डे पदार्थो के सेवन से या ठंडा पानी ज्यादा पीने से होता है, यदि आपको अधिक हवा में रहना पसंद है तो कम कर दीजिये क्योकि ज्यादा हवा लगने से भी ये होता है| और अधिक परिश्रम से भी, भारी सामान उठाने से भी ये रोग होता है|
अधिक दिनों तक रखे दूषित एवम बासी खाद्य पदार्थो के सेवन करने से भी होता है|
ये रोग एक एलर्जी के जैसे है एक को होने पर दुसरे को भी हो सकता है| जैसे यदि माता या पिता में किसी भी को भी है तो बच्चे को भी हो जाता है|
बरसात के दिनों में वातावरण में अधिक नमी होती है जिस कारण इस रोग के होने की सम्भावना बढ़ जाती है| और जिन लोगो को ये बीमारी होती है उन्हें भी इन दिनों में बहुत परेशानी होती है, और दमा का दोरा पड़ने का डर बन जाता है|
इस रोग में जब लोगो को दौरे पड़ते है तब उन्हें घुटन होती है और कभी-कभी तो बेहोश होकर गिर भी जाते है| (दमा रोग के उपचार)
दमा रोग के लक्षण
क्षुद्र श्वांस: ये रोग रूखे पदार्थो का अधिक सेवन करने से होता है, और अधिक परिश्रम करने से भी होता है| जब वायु ऊपर की ओर उठती है तब ये बीमारी उत्पन्न होती है इसमें वायु कुपित होती है, लेकिन इसमें अधिक कष्ट नहीं होता है और कभी कभी ये खुद ही ठीक हो जाती है|
श्वांस: इसमें श्वांस ऊपर की और अटकी महसूस होती है ऐसा लगता है, जैसे ऊपर से हवा ही नहीं मिल पा रही हो इसमें खासी भी हो जाती है| जिसे अधिक तकलीफ होती है साँस लेने में अधिक तकलीफ होती है|
स्मरण शक्ति कम हो जाती है और बोलने में भी परेशानी होने लगती है| जोर जोर से सांसे लेना और आँखों का फट सा जाना और जीभ का तुतलाना ये सब लक्षण है|
उध्र्व श्वांस: ऊपर साँस को लेने में कोई तकलीफ न होना और नीचे की और साँस को भेजने में तकलीफ का होना, साँस नली में कफ का जम जाना और द्रष्टि ऊपर की और ज्यादा रहना घबराहट होना, हमेशा ही इधर उधर देखना और नीचे की और साँस को भेजने में बेहोशी महसूस होना ये सब लक्षण है|
तमक श्वांस: इसमें भय, भ्रम, कष्ट और बोलने में परेशानी, नींद न आना, सर दर्द होना, मुख का सूख जाना और चेतना का कम होना इस रोग के लक्षण है|
छिन्न श्वांस: इस रोग में रोगी ठीक से साँस नहीं ले पता रुक रुक के साँस लेता है पेट फूल जाता है| पसीना अधिक मात्रा में आता है आँखों में पानी रहता है इस रोग में आम तोर पर आँखे व मुख लाल हो जाता है चेहरा सूख जाता है|
दमा रोग के उपचार – भोजन में क्या खाना चाहिए
रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम बकरी का दूध पीना चाहिए|
रोगी को धुप के पास वाले स्थान छाया में बैठना चाहिए|
रोगी को अपना मन शांत रखना चाहिए और चिंता फिकर क्रोध से बचाना चाहिए|
रोगी और सुबह उठकर रोज सूर्य की किरने लेनी चाहिए|
रोगी को ज्यादा ठंडी व् गर्म चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए, और हल्का जल्द पचने वाला भोजन करना चाहिए|
गले तथा छाती को ठण्ड से बचा के रखना चाहिए|
भोजन में गेंहू की रोटी, तोरई, करेला, मेथी आदि का सेवन करना चाहिए|
भोजन में क्या नहीं खाना चाहिए
दमा रोग के उपचार के लिए आप इन सब निर्देश का ध्यान रखें. इस रोग के रोगी को भर पेट भोजन नहीं करना चाहिए|
रोगी को धुप में नहीं बैठना या घूमना चाहिए|रोगी को ठंडी चीज जैसे दूध, दही, केला, संतरा, सेब, अनार, नाशपाती, खट्टी चीजो आदि का सेवन नहीं करना चाहिए| (दमा रोग के उपचार)
रोगी को शराब, बीडी-सिगरेट आदि का सेवन हानिकारक होता है|
रोगी को रुखा, भारी और शीतल पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए|
सरसों, भेड़ का घी, मछली, दही, खटाई, रात को जागना, लालमिर्च, अधिक परिश्रम, शोक, क्रोध, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए|
दमा रोग के घरेलू उपचार
मेथी दाने: सबसे पहले एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें, उसके बाद इसको छान लें फिर दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उस रस निकाल कर मेथी के पानी में डालें|
उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें, दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए इससे दमा का रोग ठीक हो जाता है|
आंवला पावडर: दो छोटे चम्मच आंवला का पावडर एक कटोरी में ले, और उसमें एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें, हर रोज सुबह इस मिश्रण का सेवन करें|
सरसों का तेल: ज़रूरत के अनुसार सरसों के तेल में कपूर डालकर अच्छी तरह से गर्म कर लें और फिर इसे एक कटोरी में डालें| फिर वह मिश्रण थोड़ा-सा ठंडा हो जाने के बाद सीने और पीठ में मालिश करें| दिन में कई बार से इस तेल से मालिश करने पर दमा के लक्षणों से कुछ हद तक आराम मिलता है|
अदरक: एक कटोरी में एक छोटा चम्मच अदरक का रस, अनार का रस और शहद डालकर अच्छी तरह से मिलाएं, उसके बाद एक बड़ा चम्मच इस मिश्रण का सेवन दिन में चार से पाँच बार करने से दमा के लक्षणों से राहत मिलती है|
अर्जुन की छाल: अर्जुन की छाल का चूर्ण एक छोटा चम्मच गाय के दूध में या पानी में इतना उबाले के पानी आधा रह जाए| और इस को हर रोज़ रात को सोते समय पियें, इसमें एक चुटकी भर दाल चीनी भी डाल दें|
कॉफी: गरमागरम कॉफी पीने से भी दमा के रोगी को आराम मिलता है, क्योंकि यह श्वसनी के मार्ग को साफ करके साँस लेने की प्रक्रिया को आसान करता है|
लहसुन: लहसुन फेफड़ो के कंजेस्चन को कम करने में बहुत मदद करता है| दस-पंद्रह लहसुन का फाँक दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें, उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना गर्म ही पीने की कोशिश करें, लेकिन इस दूध का सेवन दिन में एक बार ही करना चाहिए|
ओषधियों से उपचार
सुहागा
- सुहागा को भुन कर 75 ग्राम और 100 ग्राम शहद को मिलाकर रख ले और रोज रात को सोने से पहले 1 चम्मच खा ले इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा|
- मुलहठी और सुहागा दोनों को अलग अलग कूट कर बारीक़ चूर्ण बना ले, इन दोनों और बराबर मात्रा में मिलकर एक कांच की शीशी में रख ले| और फिर इस चुर्क को दिन में दो से तीन बार शहद के साथ खाए या आप गर्म जल के साथ भी खा सकते है|
अपामार्ग (चिरचिटा)
- आधा मिलीमीटर आप अपामार्ग का रस और शहद मिलकर, चार चम्मच पानी के साथ खाना खाने के बाद सेवन करें इससे गले व फाफड़े में जमा कफ निकल जाता है|
- इसकी जड को सूखा कर पीसकर चूर्ण बना ले, और इसे फिर आधा ग्राम रोज शहद के साथ खाए|
- अपामार्ग के बीजो को जलाकर चिलम में भरकर पीने से इस रोग में लाभ होता है|
- इसके रस का थोडा सा भाग पान में रख कर खाने से या शहद के साथ खाने से छाती में जमा कफ निकल जाता है| और इस रोग से राहत मिल जाती है|
अदरक
- एक ग्राम अदरक के रस को एक चम्मच रोजाना सुबह शाम लेने से दमा रिग ठीक हो जाता है|
- अदरक के रस में शहद मिलकर खाने से सभी प्रकार की दमा की बीमारी ठीक हो जाती है और साथ ही खांसी, जुकाम, भी ठीक हो जाते है|
- अदरक के रस में कस्तुरी मिलाकर सेवन करना चाहिए|
- एक ग्राम का चोथा भाग जस्ता के भस्म में छ: ग्राम अदरक का रस और छ: ग्राम शहद मिलाकर खाने से दमा खांसी दूर हो जाती है|
- अदरक के रस और शहद को साथ मिलकर खाने से बुढ़ापे में हुए दमा रोग ठीक हो जाता है|
नींबू
- नींबू का रस दस मिलीमीटर और अदरक का रस पांच मिलीमीटर मिलकर हलके गर्म पानी के साथ पीने से ये रोग नष्ट हो जाता है|
- एक नींबू का रस और दो चम्मच शहद व एक चम्मच अदरक का रस लेकर एक कप पानी में डालकर पिने से इस रोग से जल्द ही राहत मिल जाती है|
लहसुन
- दस ग्राम लहसुन के रस को हलके ग्राम पानी के साथ रोजाना सेवन करना चाहिए, इससे सांस लेने की परेशानी दूर हो जाती है|
- लहसुन को आग में भुन कर चरण बना ले फिर इसमें सोमलता, कूट बहेड़ा व अजुर्न की छल का चूर्ण बना कर मिला ले और प्रतिदिन एक चम्मच लेके दिन में तीन बार सेवन करे|
- प्रतिदिन लहसुन तुलसी के पत्ते और गुड की चटनी बना कर सेवन करना चहिये|
- लहसुन की पूति को आग में भुन कर सेंधा नमक के साथ खाने से दमा के दौरे में आराम मिलता है|
प्याज
- प्याज का रस, अदरक का रस, तुलसी के पत्तो का रस, और तीन ग्राम शहद लेकर सुबह शाम खाने से ये रोग ठीक हो जाता है|
- सफ़ेद प्याज का रस, और शहद दोनों बराबर मात्रा में लेने से दमा ठीक हो जाता है|
- प्याज को कूटकर सूघने से खासी व गले में राहत मिलती है|
- प्याज का काढ़ा प्रतिदिन सुबह सेवन करने से ठीक हो जाती है|
दमा रोग के उपचार में ये सब बेहद महत्वपूर्ण है. शाम को भोजन सूर्य के डूबने से पहले कर लेना चाहिए और हल्का खाना लेना चाहिए जो शीर्घ ही पच जाये और गर्म पानी पीना चाहिए ठंडी चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए|